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रिश्ते

ये कैसे है रिश्ते

ये क्या फासले  है

रंज है  कही और…

तडपता कोई और है

 

है कैसी ये बाते

कैसी मुलाकाते ये

है जुबां पे तो ताला

जज्बात बह रहे है  …

 

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आस!

 

फकिरी का दामन हो

इबादत ही वजूद हो

बांसुरी कि धुन पर वो

मेरी धड्कनो में सवार हो

 

मंजर हो धुंधला सा

वो राह बनकर आये

सूखा हो जीवन का

वो मेघ बन बरसाये

 

मेरी हंसी में भी वो हो

मेरी आसुओ में वो हो

मेरे दिल कि हर पुकार में

उस का हि नाम हो

 

धूप हो तपती हुई, वो

छांव बनकर आये

बादल हो घिरते हुए, वो

बिजली बन चमकाऐं

 

मुश्किलों के घेरे हो,

वो फरिश्ता बन आये   

मै फंस जाऊं गर तूफाँ में

वो साहिल बन कर आये .....

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